"आधुनिक सभ्यता दोषपूर्ण है। वे नहीं जानते कि समाज को कैसे बनाए रखा जाए। इसलिए शांति नहीं है। विशेष रूप से दिमाग की आवश्यकता है। सरफिरा। जिस तरह पूरे शरीर में मस्तिष्क सबसे प्रमुख अंग है। यदि आप अपने हाथों को काटते हैं, आप जीवित रह सकते हैं, लेकिन यदि आप अपना सिर काटते हैं, तो आप जीवित नहीं रह सकते। तब पूरी बात समाप्त हो जाती है। इसी तरह, वर्तमान समय में समाज सिर रहित है, मृत शरीर, या सिर उद्ब्र्हान्त हुआ, सरफिरा है। सिर है, निरर्थक सिर। निरर्थक सिर। निरर्थक सिर का उपयोग क्या है? इसलिए एक वर्ग बनाने की बहुत आवश्यकता है जो मस्तिष्क और सिर का कार्य करेगा। यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन है।"
|