HI/700705b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/700705 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|700705|HI/700720 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|700720}} | {{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/700705 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|700705|HI/700720 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|700720}} | ||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | <!-- END NAVIGATION BAR --> | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700705AD-SAN_FRANCISCO_ND_02.mp3</mp3player>|"कृपया इस तर्क को समझने का प्रयास करें कि हर कोई सेवक है। यहां तक कि आपका राष्ट्रपति भी राष्ट्र का सेवक है। इसलिए कोई भी यह नहीं कह सकता है कि 'मैं किसी का सेवक नहीं हूं। | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700705AD-SAN_FRANCISCO_ND_02.mp3</mp3player>|"कृपया इस तर्क को समझने का प्रयास करें कि हर कोई सेवक है। यहां तक कि आपका राष्ट्रपति भी राष्ट्र का सेवक है। इसलिए कोई भी यह नहीं कह सकता है कि 'मैं किसी का सेवक नहीं हूं।' वह सेवक है, परंतु वह नहीं जानता कि वास्तव में वह परम ईश्वर का सेवक है। यह उसकी अज्ञानता है। हम केवल इस अज्ञान को मिटा रहे हैं, कि 'आप सेवक हैं, परंतु यदि आप स्वीकार करते हैं कि आप ईश्वर के सेवक हैं तो यह आपके जीवन को सफल बनाएगा।' बस इतना ही। इसलिए मेरा कहना है कि असीमित अनुयायी हैं उनमें से कुछ स्वीकार करते हैं और कुछ स्वीकार नहीं करते हैं। यही बाधा है। परंतु यदि कोई मेरे पास आता है, तो मैं उसे स्वीकार करने के लिए तैयार करूंगा। हाँ। "|Vanisource:700705 - Lecture Festival Ratha-yatra and Press Conference - San Francisco|700705 - प्रवचन महोत्सव रथ-यात्रा और पत्रकार सम्मेलन - सेन फ्रांसिस्को}} |
Latest revision as of 15:53, 29 January 2023
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कृपया इस तर्क को समझने का प्रयास करें कि हर कोई सेवक है। यहां तक कि आपका राष्ट्रपति भी राष्ट्र का सेवक है। इसलिए कोई भी यह नहीं कह सकता है कि 'मैं किसी का सेवक नहीं हूं।' वह सेवक है, परंतु वह नहीं जानता कि वास्तव में वह परम ईश्वर का सेवक है। यह उसकी अज्ञानता है। हम केवल इस अज्ञान को मिटा रहे हैं, कि 'आप सेवक हैं, परंतु यदि आप स्वीकार करते हैं कि आप ईश्वर के सेवक हैं तो यह आपके जीवन को सफल बनाएगा।' बस इतना ही। इसलिए मेरा कहना है कि असीमित अनुयायी हैं उनमें से कुछ स्वीकार करते हैं और कुछ स्वीकार नहीं करते हैं। यही बाधा है। परंतु यदि कोई मेरे पास आता है, तो मैं उसे स्वीकार करने के लिए तैयार करूंगा। हाँ। " |
700705 - प्रवचन महोत्सव रथ-यात्रा और पत्रकार सम्मेलन - सेन फ्रांसिस्को |