HI/701110 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
ईश्वर: सर्वभूतानां हृद्देशे अर्जुन तिष्ठति (भ.गी. १८.६१) । वे सबके हृदय में स्थित है । अंडान्तरस्थ परमाणु चयान्तरस्थम (ब्र.सं. ५.३५) । वे इस ब्रह्मांड के भीतर है और वे परमाणु के भीतर भी है । ये परमात्मा बोध है । सर्वत्र, सर्व-व्यापी । गोलोक एव निवसति अखिलात्म भूतो (ब्र.सं. ५.३७) । यद्यपि वे अपने गोलोक वृंदावन धाम में स्थित है, वे हर जगह है । वह हर जगह का पहलू है - परमात्मा । और वह गोलोक वृंदावन-स्थिति भगवान् है ।
701110 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.१४ - बॉम्बे