HI/701211 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद इंदौर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/701211LE-INDORE_ND_01.mp3</mp3player>|तो हम भगवद गीता में भगवान कृष्ण के दिए गए संदेश का प्रचार करने के लिए अत्याधिक चिंतित हैं। हम भगवद गीता को यथार्थ रूप प्रस्तुत कर रहे हैं,बिना किसी मिलावटी व्याख्या किये। हम भगवान के कह गए शब्दों का भाषांतर नहीं कर सकते। क्योंकि धर्म का अर्थ है भगवान के द्वारा कहे गए वाणी। धर्मं तु साक्षाद्भगवत्प्रणीतं  
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([[Vanisource:SB 6।3।19।श्री भा ६।३।१९]])। कोई भी मनुष्य धर्म के सिद्धांतो की स्थापना नहीं कर सकता, जिस प्रकार कोई भी नागरिक कानून की स्थापना नहीं कर सकता। सरकार द्वारा कानून स्थापित की जाती है। जिसे स्वीकार कर लिया जाता है, यह अनिवार्य है। ठीक इसी तरह, धर्म का अर्थ है भगवान के द्वारा कहे गए वाणी।|Vanisource:701211 - Lecture - Speech to Their Highnesses - Indore|701211 - प्रवचन - Speech to Their Highnesses - इंदौर}}
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Latest revision as of 16:25, 27 September 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
हम भगवद्गीता में भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए संदेश का प्रचार करने के लिए अत्याधिक चिंतित हैं। हम भगवद्गीता को यथार्थ रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं, बिना किसी मिलावटी व्याख्या किए। हम भगवान द्वारा कहे गए शब्दों का रूपांतरण नहीं कर सकते। क्योंकि धर्म का अर्थ भगवान के द्वारा कही गई वाणी है। धर्मं तु साक्षाद्भगवत्प्रणीतं (श्री भा ६.३.१९)। कोई भी मनुष्य धर्म के सिद्धांतो की स्थापना नहीं कर सकता, जिस प्रकार कोई भी नागरिक कानून की स्थापना नहीं कर सकता। सरकार द्वारा कानून स्थापित किया जाता है। जिसे स्वीकार कर लिया जाता है, यह अनिवार्य है। ठीक इसी प्रकार, धर्म का अर्थ भगवान के द्वारा कहे गए सिद्धांत हैं।
701211 - प्रवचन - परम पूज्य महाराज के लिए भाषण - इंदौर