HI/701213 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद इंदौर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हमने जो भी घृणित विशेषताएं विकसित की हैं, यदि हम इनका प्रतिकार करना चाहते हैं, तो हमें केवल भक्ति-योग की तरफ जाना होगा। अनर्थ। अनर्थ। हमने बहुत सारे अनर्थ विकसित किये है। हमें इनकी आवश्यकता नहीं है, लेकिन हमने इन लक्षणों को विकसित किया है। । इसलिए अनर्थ उपसमं। इसलिए यदि आप इन अनर्थो को काटना चाहते हैं, तो भक्ति-योगम अधोक्षजे- आपको भक्ति-योग सिद्धांत को स्वीकार करना होगा।"
701213 - प्रवचन श्री.भा.०६.०१.२२-२५ - इंदौर