HI/710117c बातचीत - श्रील प्रभुपाद इलाहाबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तद विगनयनार्थं स गुरुम एवा अभिगच्छेत (म.उ १.२.१२): "तत ज्ञान को समझने के लिए किसी आध्यात्मिक गुरु से संपर्क करना चाहिए।" गच्छेत। यदि आप इन सिद्धांतों को स्वीकार नहीं करते हैं, तो आप प्रगति कैसे कर सकते हैं? तस्माद गुरुम प्रपद्येता जिग्नासुर श्रेया उत्तमम (श्री.भा ११.३.२१ )। यदि आप इस सिद्धांत को स्वीकार नहीं करते हैं, तो कोई संभावना नहीं है। तब आप अपने तरीके से सोच सकते हैं। तब किसी से संपर्क करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। अपना दिमाग लगाकर आप अपनेआप को परिपूर्ण बना सकते हैं जैसे और लोग कर रहे हैं, अनुमान लगाकर। यह संभव है। लेकिन परिपूर्ण व्यक्ति के लिए कभी नहीं।"
710117 - वार्तालाप - इलाहाबाद