HI/710129 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद इलाहाबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 15:27, 13 March 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
“यदि आप वास्तव में शांति चाहते हैं, तो आपको भगवद गीता में प्रतिपादित शांति के इस सूत्र को स्वीकार करना होगा कि केवल कृष्ण, या ईश्वर, भोक्ता हैं। वह संपूर्ण हैं। जिस प्रकार यह शरीर संपूर्ण है। पैर शरीर का अवयवभूत अंश हैं, परंतु इस शरीर का असली भोक्ता पेट है। पैर गतिशील हैं, हाथ काम कर रहे हैं, आंखें देख रही हैं, कान सुन रहे हैं। वे सभी पूरे शरीर की सेवा में लगे हुए हैं। परंतु जब खाने या आनंद लेने का प्रश्न होता है, तो न तो उंगलियां न ही कान और न ही आंखें, अपितु केवल पेट ही भोक्ता है। तथा यदि आप पेट में खाने के पदार्थ की आपूर्ति करते हैं, तो स्वचालित रूप से आंखें, कान, अंगुलियां-कोई भी, शरीर का कोई भी अंग-तृप्त हो जाएगा।"
710129 - श्री. मित्रा के घर पर प्रवचन - इलाहाबाद