HI/710130c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद इलाहाबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 23:12, 12 July 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सभी योगियों के बीच, एक व्यक्ति जो लगातार अपने भीतर कृष्ण के बारे में सोचने के लिए संलग्न है, ध्यानावस्थित योगिनो..., पश्यन्ति यम योगिनो(श्री.भा. १२.१३.१)। ध्याना का अर्थ है विष्णु या कृष्ण पर ध्यान केंद्रित करना। यह वास्तविक जीवन है। इसलिए शास्त्रों में यह कहा गया है कि जो योगी ध्यान में लगे हुए हैं, वे कृष्ण, या विष्णु का पता लगाने की कोशिश करते हैं। कृष्ण और विष्णु एक ही हैं। इसलिए यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन, कृष्ण के बारे में हमारी निष्क्रिय भावनामृत को पुनर्जीवित करने के लिए एक वास्तविक आंदोलन है। कृष्ण से कोई पृथक्करण नहीं है, जैसे पिता और पुत्र को अलग नहीं किया जा सकता है। लेकिन बेटे की ओर से कभी-कभी अपने पिता को भूल जाने की भूल होती है। यह हमारा वर्तमान स्थिति है।"
710130 - श्रीमान मित्रा के घर पर प्रवचन - इलाहाबाद