HI/710219 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710219CC-GORAKHPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"जैसे की जब आप दूर से कुछ धुआं देखते हैं, तो आप तुरंत समझ सकते हैं कि आग लगी है। यह बहुत आसान है। इसी तरह, अगर सब कुछ अच्छी तरह से चल रहा है-सूरज ठीक समय पर उदय हो रहा है; चंद्रमा ठीक समय पर उदय हो रहा है; वे रोशनी फैला रहे हैं, वे प्रकट-अप्रकट हो रहे हैं; सब कुछ नियमित चल रहा है, मौसमी बदलाव-तो अगर सब प्राकृतिक कार्य नियमानुसार चल रहे हैं, तो आप कैसे कह सकते हैं, "भगवान नहीं है?" अगर प्रबंधन अच्छी तरह से चल रहा है, आप यह नहीं कह सकते कि ये चीजें स्वतः हो रही हैं। नहीं। आपके अनुभव के दायरे में ऐसा कुछ नहीं      नहीं है जो अपने आप प्रबंधित हो। हमें इस बात की सराहना करनी चाहिए कि इसके पीछे एक बुद्धिमान जीव है।"|Vanisource:710219 - Lecture CC Madhya 06.154-155 - Gorakhpur|710219 - प्रवचन चै.च मध्य ०६.१५४-१५५ - गोरखपुर}}
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Latest revision as of 16:49, 19 April 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जैसे कि जब आप दूर से कुछ धुआं देखते हैं, तो आप तुरंत समझ सकते हैं कि आग लगी है। यह बहुत आसान है। इसी तरह, अगर सब कुछ अच्छी तरह से चल रहा है- सूरज ठीक समय पर उदय हो रहा है; चंद्रमा ठीक समय पर उदय हो रहा है; वे रोशनी फैला रहे हैं, वे प्रकट-अप्रकट हो रहे हैं; सब कुछ नियमित चल रहा है, मौसमी बदलाव- अगर सब प्राकृतिक कार्य नियमानुसार चल रहे हैं, तो आप कैसे कह सकते हैं, "भगवान नहीं है?" अगर प्रबंधन अच्छी तरह से चल रहा है, आप यह नहीं कह सकते कि ये चीजें स्वतः हो रही हैं। नहीं। आपके अनुभव के दायरे में ऐसा कुछ नहीं है जो अपने आप प्रबंधित हो। हमें इस बात की सराहना करनी चाहिए कि इसके पीछे एक बुद्धिमान जीव है।"
710219 - प्रवचन चै.च मध्य ०६.१५४-१५५ - गोरखपुर