HI/710219b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद गोरखपुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 15:28, 20 April 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अपने आप को इस तरह या उस तरह परेशान मत करो। यही रहस्य है। तुम बस मेरे प्रति शरणागत हो जाओ।" अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि: "मैं तुम्हे गारंटी दे रहा हूँ। तुमने बहुत सारे पापमय कार्य जन्म-जन्मांतर किए हैं, और तुम इसके लिए जन्म-जन्मांतर पीड़ित होंगे। लेकिन अगर तुम मेरे प्रति शरणागत हो जाते हो, तो मैं तुम्हे सुरक्षा प्रदान करता हूं,मैं गारंटी देता हूं।" मा श्रुचः "चिंतित मत हो।" तुम यह रास्ता क्यों नहीं अपनाते? यही रास्ता है।
७१०२१९ - प्रवचन चै.चरि.मध्य ०६. १५४ -१५५ - गोरखपुर