HI/710318 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भौतिक वैज्ञानिक, उन्हें आत्मा की कोई जानकारी नहीं है। इसलिए वे सोचते हैं कि चंद्रमा ग्रह में कोई जीवन नहीं है, सूर्य ग्रह में कोई जीवन नहीं है। बस... यह कूप मंडूक न्याय है। डॉ. मेंढक पीएचडी., वह अपने तरीके से सोच रहा है। डॉ. मेंढक सोचता है कि कुएं का ये तीन फ़ीट आयाम ही सब कुछ है, और कुछ नहीं हो सकता है। ये मूढ़ा दार्शनिक और वैज्ञानिक हैं, वे उस तरह से सोचते हैं, डॉ. मेंढक। अटलांटिक महासागर नहीं हो सकता है। वह तीन फीट आयाम, कुँए का पानी पर्याप्त है। इसलिए हमें परंपरा से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। हम अनुमान नहीं लगा सकते हैं। अनुमान हमें वास्तविक गंतव्य तक पहुंचने में मदद नहीं करेंगी।"
710318 - प्रवचन श्री.भा ०७.०७.१९-२० - बॉम्बे