HI/710324 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 16:30, 18 October 2021 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"आनंदमयो अभ्यासात। यह आध्यात्मिक स्वभाव है। जैसे कि कृष्ण, परम पुरुषोत्तम भगवान, वे स्वभाव से ही आनन्दित है, उसी प्रकार, हम भी कृष्ण के अंश होने के कारण स्वभाव से ही आनन्दित हैं। परंतु दुर्भाग्यवश, हम ऐसी स्थिति में डालें गए है, भौतिक स्थिति में, कि हम इस भौतिक स्थिति को भोगने का प्रयास कर रहे हैं। यह संभव नहीं है।”
७१०३२४ - प्रवचन चै.च. मध्य २०.१३७-१४६ - बॉम्बे