HI/710622 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मास्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710622R1-MOSCOW_ND_01.mp3</mp3player>|"अब, यह भगवद गीता पांच हजार साल पहले बोली गई थी, और भगवद गीता में कहा गया है कि 'भगवद गीता की इस प्रणाली को सबसे पहले मेरे द्वारा सूर्य-देवता को बोला गया था।' तो यदि आप उस अवधि का अनुमान लगाते हैं,तो वह चार करोड़ वर्ष आती है । तो क्या यूरोपीय विद्वान कम से कम पांच हजार वर्षों के इतिहास का पता लगा सकते हैं, चार करोड़ वर्ष की तो बात ही क्या ? लेकिन हमारे पास प्रमाण है की वर्णाश्रम की प्रणाली कम से कम पांच हजार वर्ष पूर्व मौजूदा थी ,वर्णाश्रम । और इस वर्णाश्रम-प्रणाली का उल्लेख विष्णु पुराण में भी मिलता है: वर्णाश्रमाचारवताः पुरुषेण परः पुमान (चै.चरी. मध्य ८.५८ )। वर्णाश्रम आचारवत । तो यह विष्णु पुराण में कहा गया है। तो यह वर्णाश्रम धर्म कोई नहीं.....,आधुनिक युग की किसी भी ऐतिहासिक काल की गणना। यह स्वाभाविक है। "|Vanisource:710622 - Conversation - Moscow|७१०६२२ -वार्तालाप - मास्को}} | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710622R1-MOSCOW_ND_01.mp3</mp3player>|"अब, यह भगवद गीता पांच हजार साल पहले बोली गई थी, और भगवद गीता में कहा गया है कि 'भगवद गीता की इस प्रणाली को सबसे पहले मेरे द्वारा सूर्य-देवता को बोला गया था।' तो यदि आप उस अवधि का अनुमान लगाते हैं,तो वह चार करोड़ वर्ष आती है । तो क्या यूरोपीय विद्वान कम से कम पांच हजार वर्षों के इतिहास का पता लगा सकते हैं, चार करोड़ वर्ष की तो बात ही क्या ? लेकिन हमारे पास प्रमाण है की वर्णाश्रम की प्रणाली कम से कम पांच हजार वर्ष पूर्व मौजूदा थी ,वर्णाश्रम । और इस वर्णाश्रम-प्रणाली का उल्लेख विष्णु पुराण में भी मिलता है: वर्णाश्रमाचारवताः पुरुषेण परः पुमान (चै.चरी. मध्य ८.५८ )। वर्णाश्रम आचारवत । तो यह विष्णु पुराण में कहा गया है। तो यह वर्णाश्रम धर्म कोई नहीं.....,आधुनिक युग की किसी भी ऐतिहासिक काल की गणना। यह स्वाभाविक है। "|Vanisource:710622 - Conversation - Moscow|७१०६२२ -वार्तालाप - मास्को}} |
Revision as of 06:33, 21 January 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"अब, यह भगवद गीता पांच हजार साल पहले बोली गई थी, और भगवद गीता में कहा गया है कि 'भगवद गीता की इस प्रणाली को सबसे पहले मेरे द्वारा सूर्य-देवता को बोला गया था।' तो यदि आप उस अवधि का अनुमान लगाते हैं,तो वह चार करोड़ वर्ष आती है । तो क्या यूरोपीय विद्वान कम से कम पांच हजार वर्षों के इतिहास का पता लगा सकते हैं, चार करोड़ वर्ष की तो बात ही क्या ? लेकिन हमारे पास प्रमाण है की वर्णाश्रम की प्रणाली कम से कम पांच हजार वर्ष पूर्व मौजूदा थी ,वर्णाश्रम । और इस वर्णाश्रम-प्रणाली का उल्लेख विष्णु पुराण में भी मिलता है: वर्णाश्रमाचारवताः पुरुषेण परः पुमान (चै.चरी. मध्य ८.५८ )। वर्णाश्रम आचारवत । तो यह विष्णु पुराण में कहा गया है। तो यह वर्णाश्रम धर्म कोई नहीं.....,आधुनिक युग की किसी भी ऐतिहासिक काल की गणना। यह स्वाभाविक है। " |
७१०६२२ -वार्तालाप - मास्को |