HI/710729b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद Gainesville में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७१]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७१]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - Gainesville]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - Gainesville]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710729AR-GAINESVILLE_ND_01.mp3</mp3player>|"तो यह आंदोलन, कृष्ण भावनामृत आंदोलन, का अर्थ है लोगों को सीधे परमात्मा के संपर्क में लाना। इसलिए वे तुरंत आनंदित हो जाते हैं। मुझे अपने शिष्यों से हजारों पत्र मिले हैं। वे इतना बाध्य महसूस कर रहे हैं कि, "हमें हमारा जीवन मिल गया है। हम निराश थे ।" दरअसल, यही स्थिति है। कृष्ण के बिना, कृष्ण भावनामृत के बिना, हम सभी निराश हैं, भ्रमित हैं। इसलिए इतने अच्छे लड़के और लड़कियों को यहां इकट्ठा देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।"|Vanisource:710729 - Lecture Arrival - Gainesville|710729 - प्रवचन आगमन - गैंसेविल्ले }}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710729 बातचीत - श्रील प्रभुपाद Gainesville में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710729|HI/710729c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद Gainesville में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710729c}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710729AR-GAINESVILLE_ND_01.mp3</mp3player>|"यह आंदोलन, कृष्ण भावनामृत आंदोलन, का अर्थ है लोगों को सीधे परमात्मा के संपर्क में लाना। इसलिए वे तुरंत आनंदित हो जाते हैं। मुझे अपने शिष्यों से हजारों पत्र मिले हैं। वे इतना बाध्य महसूस कर रहे हैं कि, "हमें हमारा जीवन मिल गया है। हम निराश थे।" दरअसल, यही स्थिति है। कृष्ण के बिना, कृष्ण भावनामृत के बिना, हम सभी निराश हैं, भ्रमित हैं। इसलिए इतने अच्छे लड़के और लड़कियों को यहां इकट्ठा देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।"|Vanisource:710729 - Lecture Arrival - Gainesville|710729 - प्रवचन आगमन - गैंसेविल्ले }}

Latest revision as of 16:25, 12 June 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह आंदोलन, कृष्ण भावनामृत आंदोलन, का अर्थ है लोगों को सीधे परमात्मा के संपर्क में लाना। इसलिए वे तुरंत आनंदित हो जाते हैं। मुझे अपने शिष्यों से हजारों पत्र मिले हैं। वे इतना बाध्य महसूस कर रहे हैं कि, "हमें हमारा जीवन मिल गया है। हम निराश थे।" दरअसल, यही स्थिति है। कृष्ण के बिना, कृष्ण भावनामृत के बिना, हम सभी निराश हैं, भ्रमित हैं। इसलिए इतने अच्छे लड़के और लड़कियों को यहां इकट्ठा देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।"
710729 - प्रवचन आगमन - गैंसेविल्ले