HI/710813 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन वैदिक सिद्धांतों के आधार पर शुद्ध, अधिकृत है। तो जो कोई भी इसे लेता है, वह निश्चित रूप से लाभान्वित होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। और ग्राहक धीरे-धीरे बढ़ेगा। लेकिन फिर भी हीरे के लिए अधिक ग्राहक नहीं हो सकते हैं-यह भी एक और तथ्य है। जैसे कृष्ण भी भगवद गीता में कहते हैं:
मनुष्या नाम सहस्रेषु
कश्चिद यतति सिद्धये
यतताम अपि सिद्धानां
कश्चिन मां वेत्ति तत्त्वतः
(भ. गी. ७.३)

'हो सकता है कि हजारों मनुष्यों में से कोई एक अपने जीवन में सिद्ध बनने के लिए यत्न करता है; और उन सिद्ध मनुष्यों में, कोई एक ही मुझे यतार्थ रूप से जान सकता है।"

710813 - प्रवचन उत्सव जन्माष्टमी - लंडन