HI/710903 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710903BA-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"तो यह भक्तिविनोदा ठाकुरा, नियमित रूप से वह अपने कार्यालय से आते थे, और खाने के बाद तुरंत सो जाते थे, और बारह बजे उठते थे और वह किताबें लिखते थे। उनहोंने लिखा ..., उनहोंने अपने पीछे करीब १०० किताबें छोड़ी हैं। और उन्होने भगवान चैतन्य की जन्म स्थल का संदंशाकार किया, उस जन्म स्थल को कैसे विकसित किया जाए उसका आयोजन किया, मायापुर। उनके पास बहुत सारे कार्य थे। वे चैतन्य के तत्त्व के बारे में प्रचार करने के लिए जाते थे। वह विदेशों को किताबें बेचते थे। १८९६ में उन्होंने मॉन्ट्रियल के मैकगिल विश्वविद्यालय में भगवान चैतन्य का जीवन और उपदेशों नामक किताब को बेचने का प्रयास किया। इसलिए वह व्यस्त थे, आचार्य। एक व्यक्ति को चीजों को समायोजित करना होगा। यह नहीं कि 'क्योंकि मैं गृहस्थ हूं, गृहस्थ हूं, मैं उपदेशक नहीं बन सकता।"|Vanisource:710903 - Lecture Festival Appearance Day, Bhaktivinoda Thakura - London|710903 - प्रवचन Festival Appearance Day, Bhaktivinoda Thakura - लंडन}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/710829 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710829|HI/710912 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मोम्बासा में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|710912}}
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Latest revision as of 07:06, 4 November 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"श्रील भक्तिविनोद ठाकुर, वह नियमित रूप से कार्यालय से आने के बाद प्रसाद पाकर तुरंत सो जाते थे, तथा बारह बजे उठकर वह पुस्तकें लिखते थे। उन्होंने लगभग १०० पुस्तकों की रचना की तथा भगवान चैतन्य के जन्म स्थल की खोज की, उस जन्म स्थल को कैसे विकसित किया जाए उसकी नीति का भी निर्माण किया। मायापुर को भी विकसित किया। उनके पास बहुत सारे कार्य थे परंतु फिर भी वे भगवान चैतन्य के तत्त्व के बारे में प्रचार करने के लिए जाते थे। वह विदेशों में पुस्तकें भेजते थे। १८९६ में उन्होंने मॉन्ट्रियल के मैकगिल विश्वविद्यालय में भगवान चैतन्य का जीवन और उपदेश नामक पुस्तक को भेजने का प्रयास किया। इसलिए वह व्यस्त थे, वे आचार्य हैं। हमें भी चीजों को समायोजित करना होगा। यह नहीं कि आप सोचें 'क्योंकि मैं गृहस्थ हूं, मैं एक गृहस्थ हूं, मैं उपदेशक नहीं बन सकता।"
710903 - प्रवचन उत्सव आविर्भाव दिवस, भक्तिविनोदा ठाकुरा - लंडन