HI/720526 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 23:19, 4 August 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो इस शरीर को प्राप्त करने का मतलब है कि मेरे अंदर भौतिक इच्छा है यह(अविभाज्य), यह तत्त्वज्ञान है। जिस किसी को भी यह भौतिक शरीर मिला है, ब्रह्मा से शुरू होकर... वह इस ब्रह्मांड में पहला जीव माना जाता है, सबसे बुद्धिमान, सबसे अधिक विद्वान, लेकिन फिर भी, क्योंकि उसे यह भौतिक शरीर मिला है, वह कोई भौतिक इच्छा के बिना, अकाम नहीं है। उसे भौतिक इच्छा है। वह एक ब्रह्मांड का सर्वोच्च प्रमुख बनना चाहता था। जैसे हम एक परिवार का सर्वोच्च प्रमुख बनने की कोशिश करते हैं, फिर एक समाज का, फिर एक राष्ट्र का, एक समुदाय का। फिर मैं भी मुखिया बनने की इच्छा रखता हूं। जारी रखें, जारी रखें, बढ़ाना, आधिपत्य। इसलिए जब तक अधिपत्य करने की इच्छा है, हमें शरीर को धारण करना होगा। यह मायने नहीं रखता है कि यह किस प्रकार का शरीर है। यह ब्रह्म का शरीर हो सकता है, यह बिल्ली का शरीर हो सकता है, यह मनुष्य का शरीर हो सकता है, यह पक्षी का शरीर हो सकता है, यह जानवर का शरीर हो सकता है। यह मेरी इच्छा पर निर्भर करेगा। लेकिन अगर मुझे कोई इच्छा, भौतिक इच्छा पूरी करनी है, तो मुझे अगले, दूसरे शरीर को धारण करने के लिए तैयार रहना चाहिए।"
720526 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०३.०९ - लॉस एंजेलेस