HI/721001 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:05, 20 November 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जब आप दीक्षा लेते हैं, आप शपथ लेते हैं, 'कोई अवैध यौन-क्रिया नहीं, कोई नशा नहीं, कोई मांस-सेवन नहीं, कोई जुआ नहीं।' तथा यदि आप इन सभी चीजों को निजी तौर पर करते हैं, तो आप किस तरह के व्यक्ति हैं? धोखेबाज़ मत बनिए। सरल बनिए। जब आप यह शपथ लेते हैं कि 'हम इन चीजों को नहीं करेंगे', तो इन्हें पुनः न करें। तब आप सात्विकता में बने रहते हैं। बस इतना ही। आपको कोई विक्षुब्ध नहीं कर सकता। तथा यदि आप एकांत में स्वयं को दूषित करते हैं, तो यह सात्विकता चली जाएगी। तो यह चेतावनी है। एक बार जब आप इस शपथ पर दीक्षित हो जाते हैं कि आप यह सब निरर्थक चीज़े नहीं करेंगे, तो आप पूरी तरह से सात्विकता में रहेंगे। मां एव ये प्रपद्यन्ते मायाम एताम तरन्ति (भ.गी. ०७.१४ )। माया कुछ नहीं कर सकती। परंतु यदि आप स्वयं को धोखा देते हैं, अपने आध्यात्मिक गुरु को धोखा देते हैं, भगवान को धोखा देते हैं, तो आप माया से धोखा खा जाएंगे।" |
721001 - प्रवचन श्री.भा. १०.०३.२६ - लॉस एंजेलेस |