"जब आप दीक्षा लेते हैं, आप वादा करते हैं, 'कोई अवैध यौन-क्रिया नहीं, कोई नशा नहीं, कोई मांस-सेवन नहीं, कोई जुआ नहीं।' और अगर आप इन सभी चीजों को निजी तौर पर करते हैं, तो आप किस तरह के आदमी हैं? धोखेबाज़ मत बनो। सरल बनो। जब आप यह वादा करते हैं कि 'हम इन चीजों को नहीं करेंगे', तो इसे दोबारा न करें। तब आप सात्विकता में बने रहते हैं। बस इतना ही। आपको कोई विक्षुब्ध नहीं कर सकता। और अगर आप चुपचाप खुद को दूषित करते हैं, तो यह सात्विकता चला जायेगा। तो यह चेतावनी है। एक बार जब आप इस वादे पर दीक्षित हो जाते हैं कि आप ये सब निरर्थक चीज़े नहीं करेंगे, तो आप पूरी तरह से सात्विकता में रहेंगे। मां एव ये प्रपद्यन्ते मायाम एताम तरन्ति (भ.गी. ०७.१४ )। माया कुछ नहीं कर सकती। लेकिन अगर आप खुद को धोखा देते हैं, अपने आध्यात्मिक गुरु को धोखा देते हैं, भगवान को धोखा देते हैं, तो आप माया से धोखा खा जाएंगे।"
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