HI/730522 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730522SB-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"माँ यशोदा देख रही हैं कि कृष्ण भगवान हैं। गोपी भी, गोपी-जन-वल्लभा गिरी-वर-धारि (जया राधा-माधव)। कृष्ण गोवर्धन हिल उठा रहे हैं। वे भगवान को छोड़कर कौन हैं? वे इसे देख रहे हैं। वे नहीं जानते कि कृष्ण भगवान हैं। 'कृष्ण अद्भुत हैं', बस इतना ही। उन्हें यह जानना पसंद नहीं है कि कृष्ण भगवान हैं या नहीं। वे कृष्ण से प्रेम करना चाहते हैं। कृष्ण भगवान हो सकते हैं या नहीं, यह कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो वह क्या है - वह अमीर आदमी है, गरीब आदमी है, शिक्षित है या गैर-शिक्षित है - कोई विचार नहीं है। प्रेम में ऐसी कोई बात नहीं है,कोई विचार नहीं है। इसी तरह, गोपियों का  कृष्ण प्रेम शुद्ध था। इस बात पर कोई विचार नहीं था कि कृष्ण भगवान थे, इसलिए वे उनके साथ नृत्य करना चाहती थी। नहीं, कृष्ण उनके साथ नृत्य करना चाहते थे, इसलिए वे कृष्ण के पास आयी।"|Vanisource:730522 - Lecture SB 01.09.40 - New York|730522 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०९.४० - न्यूयार्क}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730522SB-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|"माँ यशोदा देख रही हैं कि कृष्ण भगवान हैं। गोपी भी, गोपी-जन-वल्लभा गिरी-वर-धारि (जया राधा-माधव)। कृष्ण गोवर्धन हिल उठा रहे हैं। वे भगवान को छोड़कर कौन हैं? वे इसे देख रहे हैं। वे नहीं जानते कि कृष्ण भगवान हैं। 'कृष्ण अद्भुत हैं', बस इतना ही। उन्हें यह जानना पसंद नहीं है कि कृष्ण भगवान हैं या नहीं। वे कृष्ण से प्रेम करना चाहते हैं। कृष्ण भगवान हो सकते हैं या नहीं, यह कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो वह क्या है - वह अमीर आदमी है, गरीब आदमी है, शिक्षित है या गैर-शिक्षित है - कोई विचार नहीं है। प्रेम में ऐसी कोई बात नहीं है,कोई विचार नहीं है। इसी तरह, गोपियों का  कृष्ण प्रेम शुद्ध था। इस बात पर कोई विचार नहीं था कि कृष्ण भगवान थे, इसलिए वे उनके साथ नृत्य करना चाहती थी। नहीं, कृष्ण उनके साथ नृत्य करना चाहते थे, इसलिए वे कृष्ण के पास आयी।"|Vanisource:730522 - Lecture SB 01.09.40 - New York|730522 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०९.४० - न्यूयार्क}}

Latest revision as of 23:05, 16 July 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"माँ यशोदा देख रही हैं कि कृष्ण भगवान हैं। गोपी भी, गोपी-जन-वल्लभा गिरी-वर-धारि (जया राधा-माधव)। कृष्ण गोवर्धन हिल उठा रहे हैं। वे भगवान को छोड़कर कौन हैं? वे इसे देख रहे हैं। वे नहीं जानते कि कृष्ण भगवान हैं। 'कृष्ण अद्भुत हैं', बस इतना ही। उन्हें यह जानना पसंद नहीं है कि कृष्ण भगवान हैं या नहीं। वे कृष्ण से प्रेम करना चाहते हैं। कृष्ण भगवान हो सकते हैं या नहीं, यह कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो वह क्या है - वह अमीर आदमी है, गरीब आदमी है, शिक्षित है या गैर-शिक्षित है - कोई विचार नहीं है। प्रेम में ऐसी कोई बात नहीं है,कोई विचार नहीं है। इसी तरह, गोपियों का कृष्ण प्रेम शुद्ध था। इस बात पर कोई विचार नहीं था कि कृष्ण भगवान थे, इसलिए वे उनके साथ नृत्य करना चाहती थी। नहीं, कृष्ण उनके साथ नृत्य करना चाहते थे, इसलिए वे कृष्ण के पास आयी।"
730522 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०९.४० - न्यूयार्क