HI/730723 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 23:15, 24 July 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अब, वर्तमान समय में, हम में से हर एक, हम भौतिक ऊर्जा के नियंत्रण में हैं। आप इसे बहुत आसानी से समझ सकते हैं। सरकार की तरह। सरकार, वह एक ऊर्जा काम कर रही है। इसी तरह, जेल घर, काम करने वाली एक और ऊर्जा भी है। और नागरिक भी एक और ऊर्जा काम कर रहे हैं। लेकिन नागरिक तटस्थ हैं। वे जेल की दीवारों के बाहर या जेल की दीवारों के अंदर रह सकते हैं। इसलिए उन्हें तटस्थ कहा जाता है। जब आप सरकार के कानूनों का पालन कर रहे हैं, तो आप स्वतंत्र हैं। आप सरकार के कानूनों का पालन नहीं कर रहे हैं, आप जेलखाने के भीतर हैं। तो आप स्वतंत्रत हैं, या तो ... यह आपकी पसंद है। सरकार के पास विश्वविद्यालय, साथ ही आपराधिक विभाग है। सरकार प्रचार नहीं कर सकती; बल्कि, सरकार का कहना है कि "आप विश्वविद्यालय में आये। शिक्षित बनो। उन्नत बनो।" लेकिन यह हमारी पसंद है कि हम कभी-कभी जेल घर जाते हैं। यह सरकार की गलती नहीं है। इसी तरह, जो लोग इस भौतिक दुनिया में आए हैं, वे सभी अपराधी हैं, भगवान के नियमों की अवज्ञा करते हैं।"
730723 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०२.०६ - लंडन