HI/730813 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद पेरिस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वास्तविक समाधान यह है: कृष्ण चेतना। इसलिए वेदांत-सूत्र कहते हैं, अथातो ब्रह्म जिज्ञासा: 'अब आप किसी भी अन्य चीज़ों के लिए पूछताछ नहीं करते हैं', आपको क्यों करना चाहिए? आपके लिए आवश्यक अन्य सभी चीजें, जो पहले से ही आपूर्ति की गई हैं, आपूर्ति की जाएगी। आप क्यों परेशान होते हैं? आप बस कृष्ण चेतना में अपने जीवन के मूल्य को समझने की कोशिश करते हैं। यह आपका एकमात्र व्यवसाय है। तस्यैव हेतो प्रयातेता कोविदा। कोविदा: 'जो बुद्धिमान हैं', तस्यैव हेतो, 'उस चीज के लिए', प्रयातेता, 'प्रयास'।इसलिए उस चीज को पाने की कोशिश करें। उस चीज़ के लिए ... न लभ्यते यद्भ्रमतामुपर्यध:[(श्री.भा.०१.०५.१८) लोग ऐसे ही संघर्ष कर रहे हैं। आप जहां भी जाते हैं, भौतिक दुनिया, या तो आप लंदन जाते हैं या पेरिस या कलकत्ता या बॉम्बे जाते हैं, कहीं भी आप जाते हैं, व्यवसाय क्या है? हर कोई संघर्ष कर रहा है: व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश। दिन और रात मोटरकार इस तरह से जा रही है, उस तरह, इस तरह, उस तरह से। कल रात मैं श्रुतकीर्ति के साथ बात कर रहा था। हम जहाँ कहीं भी जाते हैं, हम इस बकवास बात को देखते हैं, व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश-व्हूश। आप जिस भी शहर में जाते हैं, वही सड़क, वही मोटरकार, वही व्हूश-व्हूश, वही पेट्रोल, वही सब।” (हँसी)।
730813 - प्रवचन भ.गी. १३.०५ - पेरिस