HI/730924 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
" यहां,हर कोई फलदायक गतिविधियों में लगा हुआ है,कर्म - कर्म इस जीवन में और कर्म अगले जीवन में भी .इसीलिए महान यज्ञ करना,दान,पवित्र कार्य करना,वे भी कर्म है l वे अगले जीवन में अवसर देने के लिए होते है,स्वर्गीय ग्रह प्रणाली स्तिथि या इसी तरह के अन्य उच्च ग्रह प्रणाली में जहां रहने का मानक इस ग्रह में जीवन के मनाक की तुलना में बहुत आरामदायक,हजारों और हजारों गुना बेहतर है l लेकिन वह भी कर्म है l कंकसंतः कर्म: म सिद्दिम यजनता इहा देवता:।" |
730924 - प्रवचन BG 13.01-2 - बॉम्बे |