HI/730930 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/730930BG-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"कृष्ण क्या कहते हैं? कृष्ण कहते हैं, ''सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज'' ([[Vanisource:BG 18.66 (1972)|भ.गी. १८.६६]])। यह ''वेदांत'' है। यदि आप कृष्ण को समर्पण करना सीखते हैं, तो यह ''वेदांत'' की वास्तविक समझ है। ''बहूनां जन्मनामन्ते'' ([[Vanisource:BG 7.19 (1972)|भ.गी. ७.१९]])। यह निष्कर्ष वेदांतवादी, तथाकथित वेदांतवादी का आता है। ''बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते''। यह ''वेदांत'' का अंतिम बोध है। ''वासुदेव: सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभ:'' ([[Vanisource:BG 7.19 (1972)|भ.गी. ७.१९]])। यदि कोई समझता है कि कृष्ण ही सब कुछ हैं, कृष्ण ही सब कुछ के मूल हैं... यही ''वेदांत'' है, ''जन्मादि अस्य यतः'' ([[Vanisource:SB 1.1.1|श्री.भा. १.१.१]])।"|Vanisource:730930 - Lecture BG 13.08-12 - Bombay|730930 - प्रवचन भ.गी. १३.०८-१२ - बॉम्बे}}
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Latest revision as of 16:27, 14 December 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण क्या कहते हैं? कृष्ण कहते हैं, सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज (भ.गी. १८.६६)। यह वेदांत है। यदि आप कृष्ण को समर्पण करना सीखते हैं, तो यह वेदांत की वास्तविक समझ है। बहूनां जन्मनामन्ते (भ.गी. ७.१९)। बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते। यह वेदांत का अंतिम बोध है। वासुदेव: सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभ: (भ.गी. ७.१९)। यदि कोई समझता है कि कृष्ण ही सब कुछ हैं, कृष्ण ही सबके मूल हैं... यही वेदांत है, जन्मादि अस्य यतः (श्री.भा. १.१.१)।"
730930 - प्रवचन भ.गी. १३.०८-१२ - बॉम्बे