HI/731003 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items)
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]]
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/731002 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731002|HI/731004 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731004}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731003BG-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तो कृष्ण कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया में, व्यक्ति को बहुत विनम्र और नम्र होना चाहिए। यह पहली योग्यता है। यह सत्त्वगुण है। लेकिन जो लोग रजो-गुण और तमो-गुण में स्थित हैं, वे विनम्र नहीं बन सकते। यह संभव नहीं है। जुनून और अज्ञानता। इसलिए किसी को भी... ज्ञान का मतलब है कि व्यक्ति को... व्यक्ति को अच्छाई, सत्त्वगुण, ब्राह्मणवादी योग्यता के मंच पर आना होगा। शमो दमस् तितिक्षा आर्जवम् ज्ञानं विज्ञानम् आस्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम् ([[Vanisource:BG 18.42 (1972)|BG 18.42]])।"|Vanisource:731003 - Lecture BG 13.08-12 - Bombay|731003 - प्रवचन भ.गी. १३.०८-१२ - बॉम्बे}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731003BG-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"तो कृष्ण कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया में, व्यक्ति को बहुत विनम्र और नम्र होना चाहिए। यह पहली योग्यता है। यह सत्त्वगुण है। लेकिन जो लोग रजो-गुण और तमो-गुण में स्थित हैं, वे विनम्र नहीं बन सकते। यह संभव नहीं है। जुनून और अज्ञानता। इसलिए किसी को भी... ज्ञान का मतलब है कि व्यक्ति को... व्यक्ति को अच्छाई, सत्त्वगुण, ब्राह्मणवादी योग्यता के मंच पर आना होगा। शमो दमस् तितिक्षा आर्जवम् ज्ञानं विज्ञानम् आस्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम् ([[Vanisource:BG 18.42 (1972)|BG 18.42]])।"|Vanisource:731003 - Lecture BG 13.08-12 - Bombay|731003 - प्रवचन भ.गी. १३.०८-१२ - बॉम्बे}}

Latest revision as of 23:08, 8 October 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो कृष्ण कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया में, व्यक्ति को बहुत विनम्र और नम्र होना चाहिए। यह पहली योग्यता है। यह सत्त्वगुण है। लेकिन जो लोग रजो-गुण और तमो-गुण में स्थित हैं, वे विनम्र नहीं बन सकते। यह संभव नहीं है। जुनून और अज्ञानता। इसलिए किसी को भी... ज्ञान का मतलब है कि व्यक्ति को... व्यक्ति को अच्छाई, सत्त्वगुण, ब्राह्मणवादी योग्यता के मंच पर आना होगा। शमो दमस् तितिक्षा आर्जवम् ज्ञानं विज्ञानम् आस्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम् (BG 18.42)।"
731003 - प्रवचन भ.गी. १३.०८-१२ - बॉम्बे