HI/731026 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो हमारा प्रयत्न कृष्ण भावनामृत आंदोलन, लोगों को मानव जीवन की ज़िम्मेदारी समझाने का है। यह हमारी वैदिक संस्कृति है। जीवन के कुछ सालों के दौरान की कठिनाइयां जीवन की समस्या नहीं है। जीवन की असली समस्या है कि कैसे जन्म, मृत्यु , वृद्धावस्था और व्याधि के पुनरावर्तन को हल करें। भगवद्गीता में यही उपदेश है : जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दुःख- दोषानुदर्शनम (भगवद्गीता १३.९
भगवद्गीता १३.९)। लोग जीवन की असंख्य समस्याओं से परेशान रहते हैं, किन्तु जीवन की असली समस्या है जन्म, मृत्यु, जरा, व्याधि के पुनरावर्तन को कैसे रोकें। तो लोग बेपरवाह हो जाते हैं। वे इतने जड़ बुद्धि हो गए हैं की वे जीवन की समस्या को नहीं समझते।"