HI/740225 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/740225BG-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"आप धुएँ को अग्नि के अलग नही कर सकते ये । सम्भव नही है । धुआँ प्रकृति है । उसी प्रकार प्रकृति और स्त्रोत जिस से ... जैसे अग्नि ये आ रही है, धुआँ । आप इनको अलग नही कर सकते । उसी प्रकार, ये भूमि, अपह, अनल, वायु,खम [[vanisource:बी॰जी (१९७२)।बी जी ७.४]]), ये भौतिक प्रकृति कृष्ण से आ रही है, आप इसको कृष्ण से अलग कैसे कर सकते है ? ये भी कृष्ण है । ये कृष्ण भावनामृत है । जो ये नही देखता कि ये भूमि..., वो तुरंत कृष्ण का स्मरण कर्ता है ।  यही कृष्ण भवणामृत है ।”|Vanisource:740225 - Lecture BG 07.11-12 - Bombay|740225 - प्रवचन बी जी 07.11-12 - बॉम्बे}}
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Latest revision as of 17:49, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"आप धुएँ को अग्नि के अलग नही कर सकते ये । सम्भव नही है । धुआँ प्रकृति है । उसी प्रकार प्रकृति और स्त्रोत जिस से ... जैसे अग्नि ये आ रही है, धुआँ । आप इनको अलग नही कर सकते । उसी प्रकार, ये भूमि, अपह, अनल, वायु,खम (भ.गी. ७.४), ये भौतिक प्रकृति कृष्ण से आ रही है, आप इसको कृष्ण से अलग कैसे कर सकते है ? ये भी कृष्ण है । ये कृष्ण भावनामृत है । जो ये नही देखता कि ये भूमि..., वो तुरंत कृष्ण का स्मरण कर्ता है । यही कृष्ण भवणामृत है ।"
740225 - प्रवचन बी जी 07.11-12 - बॉम्बे