HI/740426 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद तिरुपति में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वैदिक ज्ञान कहता है, जैसा कि ब्रह्म-सूत्र, वेदांत-सूत्र में कहा गया है, कि पूर्ण सत्य का मूल कारण एक जीवित इकाई है। यह कोई पदार्थ नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं, अहम् सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते (भ.गी. १०.०८)। यह अहम्, कृष्णा, कोई मृत पदार्थ नहीं है। वह जीवित इकाई है, सर्वोच्च जीवित इकाई है। और हम उपनिषद् से भी समझते हैं, नित्यो नित्यानाम चेतनस चेतनानाम (कथा उपनिषद् ०२.०२.१३)। परम सत्य व्यक्ति है, एक जीवित इकाई। वह सर्वोच्च जीवित इकाई है। इसी तरह, मूल परम सत्य कृष्णा है।"
740426 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०२.११ - तिरुपति