HI/741117 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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: त्यक्त्वा देहं | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/741117SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"यदि आप बस यह समझने की कोशिश करते हैं कि कृष्ण क्या हैं, वे क्यों आते हैं, उनका व्यवसाय क्या है, उनका रूप क्या है ...जन्म कर्म मे दिव्यमयो जानति तत्वत:त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्मनैति मामेति ...(भ.गी. ४.९) | ||
यह सरल प्रक्रिया है। आप कृष्ण को समझने की कोशिश करें। यह ही कृष्ण भावनामृत आंदोलन है। हम केवल यह सिखा रहे हैं कि कृष्ण को कैसे समझा जाए। और अगर किसी को कृष्ण को समझने का सौभाग्य मिलता है, तो उसका जीवन सफल है।”|Vanisource:741117 - Lecture SB 03.25.17 - Bombay|741117 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.१७ - बॉम्बे}} | |||
सरल |
Latest revision as of 05:08, 30 December 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यदि आप बस यह समझने की कोशिश करते हैं कि कृष्ण क्या हैं, वे क्यों आते हैं, उनका व्यवसाय क्या है, उनका रूप क्या है ...जन्म कर्म मे दिव्यमयो जानति तत्वत:त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्मनैति मामेति ...(भ.गी. ४.९)
यह सरल प्रक्रिया है। आप कृष्ण को समझने की कोशिश करें। यह ही कृष्ण भावनामृत आंदोलन है। हम केवल यह सिखा रहे हैं कि कृष्ण को कैसे समझा जाए। और अगर किसी को कृष्ण को समझने का सौभाग्य मिलता है, तो उसका जीवन सफल है।” |
741117 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.१७ - बॉम्बे |