HI/741130 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब हमारी इंद्रियों को शुद्ध किया जाता है, तो हम हृषीकेसा की सेवा कर सकते हैं। हृषीकेसा हृषिकेना-सेवनम। भक्ति का अर्थ है, इंद्रियों के स्वामी, कृष्ण की सेवा करना, हमारी इंद्रियों द्वारा। लेकिन ये मौजूदा इंद्रिया, वे कृष्ण की सेवा के लिए फिट नहीं हैं। इनको शुद्ध किया जाए। इसलिए यह शुद्धिकरण कैसे संभव है? सेवोन्मुखी ही जिह्वादो (ब्र.सं.१.२.२३४): स्वयं को प्रभु की सेवा में संलग्न करके। और पहली सेवा जीभ से शुरू होती है।"
741130 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.३० - बॉम्बे