HI/741208 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 16:09, 1 January 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः (भ.गी. ३.२७)... हम माया द्वारा बनाई गई एक मशीन (शरीर) में हैं। और इतने लंबे समय तक हम इस मशीन के अंदर हैं, मशीन पुरानी हो जाएगी और आपको इसे बदलना होगा और दूसरी मशीन में जाना होगा। तो यह चल रहा है। इसे जन्म-मृत्यु कहा जाता है। अन्यथा आप और हम, हमारा कोई जन्म और मृत्यु नहीं है। न जायते म्रियते वा कदाचित। आत्मा वह जन्म नहीं लेती और ना ही मरती है। बस हम इस मशीन को बदलते हैं, शरीर रूपी मशीन। न हन्यते हन्यमाने शरीरे (भ.गी. २.२०)"
741208 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.३९-४० - बॉम्बे