HI/750209 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो बुद्धि का अर्थ है कृष्ण को पहचानना। ईशोपनिषद में कहा गया है, कि "मेरे प्रिय भगवान, कृपया अपनी इन चमकदार किरणों को समेट लीजिये ताकि मैं वास्तव में आपका चेहरा देख सकूं ।" ब्रह्म-ज्योतिर के भीतर कृष्ण हैं। तो कृष्ण केवल सेवा के द्वारा देखे जा सकते हैं। आप कृष्ण को चुनौती नहीं दे सकते, "कृष्ण, यहाँ आइये। मैं आपको देखूंगा ।" नहीं। यह संभव नहीं है। आपको अधीनता स्वीकार करना होगा। इसलिए कृष्ण कहते हैं, सर्व-धर्मान परित्यज्य माम एकम शरणम व्रज (भ. गी. १८.६६)। यह है पथ। आपको आत्मसमर्पण करना होगा।"
750209 - प्रवचन आगमन - लॉस एंजेलेस