HI/750226 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायामी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 05:17, 12 January 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह शरीर मुझे भगवान द्वारा उपयोग के लिए दिया गया है। जैसे किसान सरकार से कुछ जमीन लेता है और वह उसे जोतकर उस पर अपने खाद्यान्न, अनाज का उत्पादन करता है। लेकिन वह यह जानता है कि 'हालांकि मैं इस क्षेत्र में किरायेदार हूं पर इसका वास्तविक मालिक जमींदार है। ठीक वैसे, अगर हम इस तथ्य को समझते हैं, कि भगवान ने मुझे मेरी इच्छा के अनुसार काम करने के लिए यह शरीर दिया है, लेकिन शरीर मेरी संपत्ति नहीं है, यह भगवान कृष्ण की संपत्ति है। तो यह ज्ञान है।"

७५०२२६ - प्रवचन भ.ग. 13.03 - मायामी