HI/750428 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"पुष्ट कृष्ण: प्रभुपाद, कभी-कभी आपके व्याख्यानों के दौरान मैंने आपको कहते सुना है यता मत तता मत?

प्रभुपाद: आह, यता मत तता मत।

पुष्ट कृष्ण: इसका क्या मतलब है ?

प्रभुपाद: यह विवेकानंद का तत्त्वज्ञान है। "आपकी जो भी राय है, वह भी अच्छा है।" इसका मतलब है कि भले ही हमारे मत अलग हों, आपकी राय, मेरी राय, आपकी अच्छी है और मेरी अच्छी है। इसका मतलब है कि कोई विवाद नहीं, बस इतना ही: समझौता करना। अगर मैं कहूं, "आपका . . . आप जो कुछ भी सोचते हैं. . ." यह चल रहा है। जब गांधी से संपर्क किया गया कि "मुसलमानों पर आपका इतना प्रभाव है। आप इस गोहत्या को क्यों नहीं रोकते?" गांधी ने कहा, "नहीं, यह उनका धर्म है। मैं रोक नहीं सकता।" वह यता मत है, कि "गोहत्या भी अच्छा है, और गाय का वध भी अच्छा नहीं है।" (हँसते हुए) यह उनका तत्त्वज्ञान है।"

750428 - सुबह की सैर - वृंदावन