HI/750702 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डेन्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हमारी आसक्ति इतनी प्रबल है, कि यहाँ तक की दुखालयम ... बस किसी सूयर की तरह, वे गंदी जगह पर रहता हैं और मल खाता हैं। और अगर आप कहते हैं कि 'मैं आपको कहीं और ले जाऊंगा, एक अच्छी जगह,' तो वे वहां नहीं जाएंगे। ऐसा हुआ था। भागवत में यह कहा गया है कि एक बार स्वर्ग के राजा, उन्हें सूयर बनने के लिए शाप दिया गया था। और वे सूयर समाज के बीच रह रहे थे। और जब ब्रह्मा उन्हें वापस बुलाने आए, तो उन्होंने कहा कि 'श्री अमुक-अमुक, आपके बुरे व्यवहार के कारण, आप सूयर बन गए है। अब वापस स्वर्ग में आइए, 'तो उसने मना कर दिया,' नहीं, मुझे इतनी ज़िम्मेदारी मिली है। मैं नहीं जा सकता।'आपने देखा ? यह भौतिक है ... इसे माया, भ्रम कहा जाता है। यहां तक कि आप जीवन की सबसे घृणित स्थिति में हैं,तो भी हम महसूस करेंगे, 'अब हम बहुत खुश हैं'। तो यह हमारी स्थिति है। हम इस जगह को छोड़ना नहीं चाहते हैं।"
७५०७०२ - प्रवचन श्री.भा. ०६.०१.१९- डेन्वर