HI/750705 बातचीत - श्रील प्रभुपाद शिकागो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वर्तमान समय में प्रथम श्रेणी के जीवों के लिए कोई जगह नहीं है। जब हम अपने छात्रों से पूछते हैं कि "आप पापी गतिविधियों के इन सभी चार वर्गों से मुक्त हो जाइये: कोई अवैध यौन संबंध नहीं, मांसाहार नहीं," लोग हंसते हैं, "ओह , तुम क्यों पूछ रहे हो?" वे नहीं जानते कि आदर्श जीव् क्या है। वे सोचते हैं, "अवैध यौन संबंध, इसमें क्या गलती है? मांस खाने वाले, इसमें क्या गलती है?" वे नहीं जानते कि क्या सही है और क्या गलत है। इसलिए सभी चतुर्थ श्रेणी के जीव्। वे यह भी नहीं समझ सकते कि इन चीजों का मूल्य क्या है। इसलिए आप चौथे वर्ग के जीवों के साथ खुश नहीं रह सकते। कम से कम एक वर्ग होना चाहिए, प्रथम श्रेणी के जीव् होने चाहिए। इसलिए हम इस गुरुकुल से एक प्रथम श्रेणी के जीव् को तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।"
750705 - वार्तालाप ऐ - शिकागो