HI/750711b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद शिकागो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो भगवान थे और भगवान के शब्द थे। वह शुरुआत है, हमारी शुरुआत। जन्मादि अस्य यत: (श्री. भा. १.१.१)। अहम् एवासम अग्रे। और भगवद गीता, अहम् सर्वस्य प्रभवः मत्त: सर्वं प्रवर्तते (भ. गी. १०.८)। यह हमारा तत्वज्ञान है, "सब कुछ ईश्वर से शुरू होता है।" अब आप कह सकते हैं, "ईश्वर कहाँ से आया?" लेकिन वह ईश्वर है। ईश्वर का अस्तित्व है, वह किसी अन्य कारण से नहीं है। वह मूल कारण है। अनादिर आदिः: "उसकी कोई शुरुआत नहीं है, लेकिन वह सब कुछ की शुरुआत है।" यह भगवान की अवधारणा है। अनादिर अदिर गोविंदः (ब्र. सं. ५.१) वह आदि गोविंद है, व्यक्ति, कृष्ण। कृष्ण कहते हैं, अहम आदीर हि देवानाम (भ. गी. १०. २)। हम इतिहास से पाते हैं, ब्रह्मा आदि हैं। वह देव हैं, देवताओं में एक। कृष्ण कहते हैं, अहम् आदीर हि देवानाम। तो वे ब्रह्मा के भी कारण हैं। तो यह हमारा तत्व है। हम शून्य या दुर्घटना से शुरू नहीं करते। यह हमारा तत्व नहीं है।"
750711 - सुबह की सैर - शिकागो