HI/750712c सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद फ़िलाडेल्फ़िया में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
""क्योंकि मैं असफल हो गया हूँ, इसलिए कोई ज्ञान नहीं है।" यह भी अपूर्ण है, क्योंकि मैं इस प्रकार निष्कर्ष कैसे निकाल सकता हूँ? मैं अपूर्ण हूँ। मैं इस तरह या उस तरह फैसला नहीं कर सकता। तो वह भी है। वैदिक ज्ञान कहता है कि बद्ध आत्मा के चार दोष हैं: भ्रम, गलती, अपूर्णता और धोखा। कोई भी बद्ध आत्मा। ब्रह्मा भी, वह कृष्ण से ज्ञान प्राप्त कर रहा है। तेने ब्रह्म हृदा य आदि -कवये (श्री. भा. १.१.१)। आदि-कवि का अर्थ है ब्रह्मा। वह इस ब्रह्मांड में सबसे पूर्ण व्यक्ति हैं, भगवान ब्रह्मा। तो वे भी कृष्ण से ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। कोई भी बद्ध आत्मा, ब्रह्मा से लेकर चींटी तक, वे चार तरह से दोषपूर्ण हैं : भ्रम, गलती, अपूर्णता और धोखा।"
750712 - सुबह की सैर - फ़िलाडेल्फ़िया