HI/750714b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद फ़िलाडेल्फ़िया में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब एक आदमी की कामुक इच्छा बहुत मजबूत होती है, तो वह वो करता है, जिसे बलात्कार कहा जाता है, और वह आपराधिक गतिविधियों में जटिल हो जाता है। काम एश क्रोध एश रजो-गुण-समुद्भव: ([[[Vanisource:BG 3.37 (1972)|भ. गी. ३.३७]]). कोई ऐसा करने के लिए मजबूर क्यों होता है? इसका कारण कामुक इच्छाएं, क्रोध, लोभ है। तो हम सोच रहे हैं कि हम इस भौतिक दुनिया के स्वामी हैं, लेकिन वास्तव में आप काम, क्रोध, लोभ, मोह:, इन इच्छाओं के दास हैं। और वह माया है । वह दास के रूप में कार्य कर रहा है, लेकिन वह सोच रहा है, "मैं मालिक हूँ।" वह माया है, जो तथ्य नहीं है।
750714 - सुबह की सैर - फ़िलाडेल्फ़िया