HI/750723 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो जिसने भी इस शरीर को स्वीकार किया है, दैह्यस्य, और जो कुछ भी वह कर रहा है, यह सब इतने सारे गवाहों द्वारा देखा जा रहा है। आप कैसे बच सकते हैं? आप बहुत गुप्त रूप से कुछ कैसे कर सकते हैं? यह संभव नहीं है। सब कुछ नोट किया जा रहा है। और इसलिए दंड या पुरस्कार आपको स्वीकार करना होगा, क्योंकि आप स्वतंत्र नहीं हैं। हम मूर्खता से स्वतंत्र कहते हैं। "हमें किसी की परवाह नहीं है। कोई भगवान नहीं है।" लेकिन मृत्यु है। यह आपको विश्वास करना होगा। तो वह मृत्यु ईश्वर है। कृष्ण कहते हैं, अहम मृत्युः सर्व-हरश च ( भ. गी. १०.३४)। जो जीवन भर भगवान को नहीं देखता है, इसलिए वह मृत्यु के समय भगवान को देखेगा। इसलिए भगवान को न देखने का कोई सवाल ही नहीं है।"
750723 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.४२ - लॉस एंजेलेस