HI/750725 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो जीवन की इस भ्रांति के तहत हम केवल अशुभ रूप से कार्य कर रहे हैं। अशुभ रूप से क्यों? क्योंकि हम आँख बंद करके काम कर रहे हैं। हम नहीं जानते कि मेरा पुनर्जन्म क्या है, या हम पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन आप विश्वास करें या न करें; पुनर्जन्म है। जैसे बच्चे का पुनर्जन्म होता है, लड़के का पुनर्जन्म होता है, युवा का पुनर्जन्म होता है, वैसे ही, बूढ़े का पुनर्जन्म होता है। आप मानें या न मानें, आपको पुनर्जन्म स्वीकार करना होगा। वाशंसी जीर्णानि यथा विहाय (भ. गी. २.२२)। यह वास्तविक शिक्षा है। आपको पुनर्जन्म स्वीकार करना होगा। अब, आपको अगला जीवन किस तरह का मिलेगा, आपको इस जीवन में तैयारी करनी होगी। वह शुभ है। वह भद्राणी है।"
750725 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.४४ - लॉस एंजेलेस