HI/750828b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम चाहते हैं कि बहुत से शिक्षित लोग इस तत्वज्ञान को समझें और उपदेश दें। लोग . . . पूरी दुनिया, वे अज्ञानता में हैं, जीवन का मूल्य। यस्यात्म-बुद्धि: कुणपे त्रि-धातुके (श्री. भा. १०.८४.१३).13]])। वे इस शरीर को स्वयं के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। सारी परेशानी यहीं है। तथाकथित वैज्ञानिक, दार्शनिक-हर कोई सोच रहा है, "मैं यह शरीर हूँ," और इसलिए इतनी परेशानी है। वे नहीं जानते वह क्या हैं और उनके जीवन का लक्ष्य क्या है, जीवन को कैसे ढालना चाहिए। कोई ज्ञान नहीं। इसलिए जोरदार उपदेश की आवश्यकता है।"
750828 - सुबह की सैर - वृंदावन