HI/750917 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"चैतन्य महाप्रभु ने खेद व्यक्त किया कि कृष्ण का पवित्र नाम इतना शक्तिशाली है कि पूर्ण पुरुषोत्तम में सभी शक्तियाँ या सभी ऊर्जाएँ, वही चीज़ जो आप उनके नाम में, उनके रूप में पाएंगे, लेकिन इन बातों को कम बुद्धिमान समझ नहीं पाते हैं। पुरुषों का वर्ग।इन बातों को समझने का मतलब है कृष्ण को पूर्णतः से जानना।
मनुष्याणाम सहस्रेषु
कश्चिद यतति सिद्धये
यतताम अपि सिद्धानाम
कश्चिद वेत्ति मां तत्त्वत:
(भ. गी. ७.३)

यह तत्त्व है, सत्य, कि कृष्ण, पूर्ण पुरुषोत्तम, उनका पवित्र नाम, उनका रूप, उनके गुण, उनकी लीलाएँ, उनकी साज़-सामान, उनका धाम। . . . जैसे हम वृन्दावन-धाम में हैं। तो वृंदावन-धाम की पूजा क्यों की जाती है ? क्योंकि वृंदावन-धाम कृष्ण से अलग नहीं है।"

750917 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०२.१४ - वृंदावन