HI/750919 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
प्रभुपाद: अब मेरे पास चालीस करोड़ हैं। किसने मुझे दिए है?

भारतीय आदमी: हाँ। कृष्ण।

प्रभुपाद: कृष्ण ने मुझे दिए है। इसलिए कृष्ण पर निर्भर रहें। वे कहते है, तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं (भ.ग.९.२२): 'जो मेरी सेवा में लगा है, वह जो चाहता है, मैं आपूर्ति करता हूँ।' वह कहते है। व्यावहारिक रूप से देखें। जो हमारी आवश्यकता थी, वह आ रही है। यह मेरे या किसी और के श्रेय से नहीं आ रही है, किसी का भी श्रेय, सभी कृष्ण का श्रेय है, वह दे रहा है। जैसे ही वह देखते है कि 'वे मेरे लिए काम कर रहे हैं', वह आपको सब कुछ देंगे, जिसकी आपको आवश्यकता है। बस हमें ईमानदार होना है और बहुत सावधानी से खर्च करना है, न कि धन की फिजूलखर्ची करना। तब वह हमें सब कुछ देंगे।

750919 - सुबह की सैर - वृंदावन