HI/751019 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद जोहानसबर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 06:05, 29 January 2021 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
प्रभुपाद: जो कोई भी भक्त नहीं है, वह पशु है। स्व-विद-वरहोस्ट्रा-खरैह: संस्तुतः पुरुषः पशुः (श्री.भा ०२.०३.१९)। छोटा जानवर बड़े जानवर की उपासना कर रहा है। बस इतना ही। जंगल में एक शेर की उपासना छोटे जानवरों द्वारा की जाती है। तो क्या इसका मतलब यह है कि शेर जानवर नहीं है? पुष्ट कृष्णा: वह भी जानवर है। प्रभुपाद: वह भी जानवर है। तो इसी तरह, ये सभी नेता, ये वैज्ञानिक, ये दार्शनिक, ये छोटे जानवरों द्वारा सराहे जाते हैं, लेकिन ये भी जानवर हैं, बड़े जानवर, बस इतना ही। परीक्षण यह है कि क्या वह आत्मा को शरीर से अलग समझता है। अगर वह नहीं समझता है, वह पशु है, बस इतना ही। शायद बड़ा जानवर, वह अलग बात है। बड़ा या छोटा, जानवर जानवर है। पुष्ट कृष्णा : तो जो कोई भी आत्मा से परिचित नहीं है... प्रभुपाद: वह पशु है। बस इतना ही। स एव गोखरः। यह शास्त्र का विचार-फल है। यस्यात्मा बुद्धिः कुनपे त्रि धातुके (श्री.भा १०.८४.१३ )।
751019 - सुबह की सैर - जोहानसबर्ग