HI/751021b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद जोहानसबर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"बिल्कुल अंडे की तरह। यदि प्राण नहीं है, तो मुर्गी कैसे आती है? आप एक अंडा उत्पादन क्यों नहीं करते और उसमें से प्राण क्यों नहीं लाते? वह था . . . , पल्ले दिन मैं बात कर रहा था। इसलिए क्योंकि आप दसवें-दर्जे के दुष्ट हैं, आप नहीं समझ सकते कि वहां जीवन कैसा है। एक बीज। एक बीज लीजिये। जब तक प्राण नहीं है, तब तक उसमें से एक बड़ा पेड़ कैसे निकलता है? आप कुछ ऐसा ही निर्माण करते हैं, नकल करके, और प्राण लाते हैं। प्राण है। क्योंकि आप दसवीं-दर्जे के दुष्ट हैं आपको नहीं पता।”
751021 - सुबह की सैर - जोहानसबर्ग