HI/751025 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मॉरिशस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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जानवरों का गला क्यों काट रहे हैं? संस्कृति कहाँ है? कोई संस्कृति नहीं है। बस बदमाश और चोर और दुष्ट और मूर्ख। संस्कृति कहाँ है? वे नहीं जानते कि संस्कृति का अर्थ क्या है। "|Vanisource:751025 - Morning Walk - Mauritius|७५१०२५  - सुबह की सैर - मॉरिशस}}
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/751022 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद जोहानसबर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|751022|HI/751028 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद नैरोबी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|751028}}
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Latest revision as of 23:15, 24 October 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"किसी भी महिला को माँ के रूप में देखा जाना चाहिए। यही संस्कृति है। अपनी विवाहित पत्नी को छोड़कर, सभी महिलाओं के साथ माँ -जैसा व्यव्हार किया जाना चाहिए। ब्रह्मचारियों को इस तरह सिखाया जाता था, 'माँ'। यह संस्कृति है। बस वे दूसरे की पत्नी को भगाने की कोशिश कर रहे हैं, पर-स्त्री, उनका शोषण करो । और वे संस्कृत हैं। वर्तमान समय में कोई संस्कृति नहीं है। मातृवत पर -दारेषु ,पर -द्रव्येषु लोष्ट्रवत (चाणक्य -श्लोक-१० ): 'और दूसरों के धन को सड़क पर पड़े कंकड़ की तरह मानना चाहिए।' कोई उसकी परवाह नहीं करता । तो वे बस योजना बना रहे हैं कि कैसे दूसरों का पैसा हड़पें। और आत्मवत सर्व-भूतेषु :'और अगर आपको दर्द और खुशी महसूस होती है, तो आपको दूसरों के लिए भी विचार करना चाहिए'। अगर आपका गला कटे तो क्या आप बहुत खुश महसूस करेंगे ? आप बेचारे जानवरों का गला क्यों काट रहे हैं? संस्कृति कहाँ है? कोई संस्कृति नहीं है। बस बदमाश और चोर और दुष्ट और मूर्ख। संस्कृति कहाँ है? वे नहीं जानते कि संस्कृति का अर्थ क्या है। "
७५१०२५ - सुबह की सैर - मॉरिशस