HI/751030 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद नैरोबी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/751030SB-NAIROBI_ND_01.mp3</mp3player>|"कृष्णा का मूल रूप जब वह अवतरित हुआ था, उस मूल रूप को बहुत लोगों ने देखा है। उनके पास तस्वीर है, तस्वीर नहीं, बल्कि चित्र हैं। और इसकी पुष्टि शास्त्रों में की गयी है, ब्रह्मा-संहिता में, वेणु क्वनंतम अरविंद दलयताक्षं बारहवतामसम असितामबुद सुन्दराङ्गं (ब्र.सं ०५.३०)। कृष्ण का वर्णन लाखों साल पहले ब्रह्माजी ने ब्रह्म संहिता में किया है की वेणु क्वनंतम अरविंद दलयताक्षं। वह हमेशा बंशी बजाता है, बंशी। वेणु का अर्थ है बंशी। क्वनंतम। और आँखें कमल के फूल की पंखुड़ियों की तरह हैं। वेणु क्वनंतम अरविंद दलयताक्षं बारहवतामसम। और मस्तक पर मोर पंख की कलँगी है। इसी तरह से शास्त्र में वर्णन है।  |Vanisource:751030 - Lecture SB 03.28.20 - Nairobi|751030 - प्रवचन श्री.भा ०३.२८.२० - नैरोबी}}
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Latest revision as of 06:05, 29 January 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्णा का मूल रूप जब वह अवतरित हुआ था, उस मूल रूप को बहुत लोगों ने देखा है। उनके पास तस्वीर है, तस्वीर नहीं, बल्कि चित्र हैं। और इसकी पुष्टि शास्त्रों में की गयी है, ब्रह्मा-संहिता में, वेणु क्वनंतम अरविंद दलयताक्षं बारहवतामसम असितामबुद सुन्दराङ्गं (ब्र.सं ०५.३०)। कृष्ण का वर्णन लाखों साल पहले ब्रह्माजी ने ब्रह्म संहिता में किया है की वेणु क्वनंतम अरविंद दलयताक्षं। वह हमेशा बंशी बजाता है, बंशी। वेणु का अर्थ है बंशी। क्वनंतम। और आँखें कमल के फूल की पंखुड़ियों की तरह हैं। वेणु क्वनंतम अरविंद दलयताक्षं बारहवतामसम। और मस्तक पर मोर पंख की कलँगी है। इसी तरह से शास्त्र में वर्णन है।
751030 - प्रवचन श्री.भा ०३.२८.२० - नैरोबी