HI/751205 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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Latest revision as of 15:19, 26 September 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"आपका भौतिक लाभ, खुशी या संकट, आपको मिलना तय है। आप इसे प्राप्त करेंगे। फिर वही, दु:खवद अन्यत:। दु:खम अन्यत नत:। अन्यत नत:। कोई भी संकट पाने की कोशिश नहीं करता है। यदि आप किसी से पूछते हैं कि "आप क्यों इतनी मेहनत कर रहें हैं?" कोई नहीं कहता कि "मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ, मुझे संकट चाहिए।" कोई नहीं कहेगा। हर कोई कहेगा, "मैं खुश रहूँगा। मुझे ख़ुशी मिलेगी. इसलिए मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं।" "नहीं, यह संकट है।" "हां, यह संकट है, लेकिन इसके बाद मुझे खुशी मिलेगी।" इसे माया कहते हैं। वह संकट से गुजर रहा है, लेकिन वह सोच रहा है, "मुझे ख़ुशी मिलेगी।" इसे माया कहते हैं।

तो कोई फायदा नहीं। यह शास्त्रीय आदेश है। तुम्हें अपना भविष्य शास्त्र के माध्यम से देखना होगा। इसलिए इस तरह से अपना समय बर्बाद मत करो।”

751205 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०६.०४ - वृंदावन