HI/751217 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जैसे ही आप कृष्ण के अधिकार क्षेत्र में जाते हैं, सर्व-धर्मान परित्यज्य माम एकम् (भ. गी. १८.६६), फिर माया का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। जैसे ही सूर्य उगता है तो कोई अंधेरा नहीं होता-स्वचालित रूप से। आपको अंधेरे को खत्म करने की आवश्यकता नहीं है। जैसे ही सूर्योदय होता है, सब कुछ प्रकाश हो जाता है। (राहगीर से) हरे कृष्ण। जय। हरे कृष्ण। माम एव ये प्रपद्यन्ते मायाम एतम् तरन्ति ते (भ. गी. ७.१४)। यह प्रक्रिया है। यह सरल विधि है। माया के अधिकार क्षेत्र में आने के लिए, महान श्रम की आवश्यकता होती है। लेकिन कृष्ण के अधिकार क्षेत्र के तहत बने रहने के लिए, एक मिनट लगता है। लेकिन ये दुष्ट ऐसा नहीं करेंगे।"
751217 - सुबह की सैर - बॉम्बे